Tuesday, 27 November 2012

सीता हरण के प्रसंग
इसलिए चाल अपनी बदलू ,भय प्रीति दिखाऊ (गा )इसको ।जैसे भी हो वैसे ही अब रेखा बाहर लाऊ इसको ।
चालबाज ही दुनिया में हर जगह राज वो करते हैं ।सच पर चलने वाले उनके घर पानी भरते हैं ।
सच पर चलते जो दृढ़ता से दुनिया में भूखो मरते हैं ।झूठ-कपट करने वाले सुक्ख नसेनी चढ़ते हैं ।
रावन की लंका सोने की ,राम भटकता है वन में ।आदेशों से नभ थर्राता ,भय बैठा मेरा जन जन में ।

मारीच से
सच पर टिकने वाले ने मामा ,हर युग में ही दुःख पाया है ।चालबाज छल कपटी ने अपना राज जमाया है ।
मेहनत करके जो पेट भरें वो कब जग में सुख पाए हैं ।मेहनत के गीत सदा से ही कमजोरो ने गाये हैं ।
मेहनत तो खूब गधे करते बैलो को जोता जाता है ।उन्हें हांकने वाला ही धन वैभव सब कुछ पाता है ।
इसलिए नीति की बातें सब कमजोरो के मन भाती हैं ।ताकतवर की मुट्ठी में जग रहा नीति बतलाती है ।

No comments:

Post a Comment