Tuesday 8 July 2014

 यह लड़की 



यह लड़की
बेनागा  रोज
अपना काम पूरा करती है
बिलकुल सूरज की तरह
जैसे वह अपने समय पर
आता और जाता है
यह लड़की पढ़ने की अपनी उम्र में
पढ़ने नहीं गयी
यह लड़की
नहीं जानती
कि खेलने--खाने की
कोई उम्र होती है
दूसरे  घरों की सफाई
का जिम्मा इस पर है
यह झाड़ू--पौंछा लगाने के बाद
झूठे बर्तन साफ़ करती है
और उतना पाती है
जिससे इसके पेट की आग
 बुझ सकती है
यह भी देश की नागरिक है
वोट  देती है
देश का वह काम करती है
जिसे दूसरे करने से झिझकते
और अलसाते हैं
यह बेनागा उसी काम को करती है
फिर भी इसकी जगह
कूड़े---करकट की तरह
कूड़ेदानों में है।


इसे रेल की यात्रा करने से पहले
 सौ बार सोचना पड़ता है
इसे वे कपडे पहनने पड़ते हैं
जो दूसरों ने उतार कर फेंक दिए हैं
इसे वह खाना पड़ता है
जो दूसरों के पेट में समाने से रह गया है
यह इसी देश की नागरिक है
यह वोट भी देती है




इसे कोई फर्क नहीं पड़ता
कि आज कोई तीज---त्यौहार है
दीवाली इसके लिए इतना ही अर्थ रखती है
कि दूसरों की दया होगी
तो इसे भी बचीखुची मिठाई मिल जाएगी
यह दूसरों की दया पर निर्भर है
कि यह ज़िंदा रह सकती है
इसके ऊपर कितनी नज़रों के पहाड़ रोज टूटते हैं
यह लड़की फिर भी डटी  हुई है
जिंदगी के मोर्चे पर
यह हमेशा एक युद्ध के बीच में है
जीवन भर युद्ध
एक ऐसा युद्ध जिसमें
रोज मरना  पड़ता है
फिर भी यह निरंतर युद्ध लड़ती है
और इंसान बनी रहती है।
जितना पसीना बहाती है
उससे बहुत कम  पाती है
यह लड़की इसी देश की नागरिक है
और वोट भी देती है।

इसने कभी कोई पाप नहीं किया
इसलिए इसे कभी पुण्य करने की
जरूरत ही नहीं पडी
जो पाप नहीं करता उसे
पुण्य करने की जरूरत कहाँ है
पुण्य वही करता है
जो पहले खूब सारे पापों की गठरी
अपने सिर  पर धर लेता है
यह लड़की निष्पाप जीवन का
सबसे बड़ा प्रमाण है।








































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