Thursday, 13 February 2014

रचना ,आज तुम्हारे जन्म-दिन की याद वेलेंटाइन डे की वजह से आई। यह संयोग है कि तुम्हारा जन्म आज के दिन श्योपुर  कलां ---मध्य प्रदेश में एक डिस्पेंसरी में  14 फरवरी 1972 के दिन हुआ। उस  रोज शिवरात्रि भी थी।कितने संयोग एक साथ थे। श्योपुर कलां उस समय जिला मुख्यालय नहीं था ,वह डाकुओं के लिए मशहूर मुरेना जिले में आता था।इस समय वह जिला मुख्यालय बन गया है।   उस समय वहाँ डाकुओं का जोर भी था। जयप्रकश नारायण उनका आत्मसमर्पण कराकर उनको जीवन की मुख्यधारा में लाने का प्रयत्न ही नहीं कर रहे थे  बल्कि ला रहे थे। श्योपुरभी उनका केंद्र था।हम उस समय चम्बल नदी को नाव से पार करते थे , उस समय चम्बल पर पुल नहीं बना था, जो राजस्थान के सवाई माधोपुर से श्योपुर को जोड़ता है।  उसके बाद एक बार जब मैं मुक्तिबोध के जीवन और साहित्य पर केंद्रित एक साहित्यिक कार्यक्रम  में  श्योपुर गया  तो चबल पर पुल बन गया था,  इसी श्योपुर में 1917  में हिंदी के प्रसिद्ध कवि गजानन माधव मुक्तिबोध का जन्म  हुआ था।  तब यह ग्वालियर रियासत के अंतर्गत मराठों के आधिपत्य वाला एक हिस्सा था।  यहाँ तभी सीप नदी के किनारे एक पहाड़ी पर किला बनाया गया था ,जो उस समय के राजतंत्र की एक सुरक्षात्मक जरूरत था। उस समय यहाँ किले के भवनों में वह सरकारी कालेज चलता था , जिसमें मेरी नियुक्ति हुई थी। यह हमारे लिए  नयी और अनजानी जगह थी। लेकिन रोज़ी-रोटी के जुगाड़ के लिए अपने मोह को त्यागना पड़ता है। इसीलिये जगह जगह की ख़ाक छाननी पड़ती है लेकिन इससे हमारे जीवनानुभवों में वृद्धि होती है।  एक जगह तो  पानी  भी सड़ने लगता है।  इसीलिये हमारे यहाँ ऋषियों ने ---चरेवैती- चरेवैती यानी चलते रहो , चलते रहो  ---की शिक्षा दी है।  बहरहाल , तुम्हारे जन्म दिन के अवसर पर इतनी  सारी बातें याद आ गयी। इतनी बातें और किसी के  जन्म से जुडी हुई नहीं हैं , तुमको ये याद रहें इसलिए भी लिखा है। चाहो तो इनको नोट करके  अपनी  डायरी में लिख सकती हो और अपने बच्चों को भी बतला  सकती हो। 
हर  व्यक्ति के जीवन का अपना इतिहास होता है और परिस्थितियां होती हैं ,जिनके बीच उसका निर्माण हुआ करता है। 
तुम्हें मम्मी, पापा ,बहिन ,भाई सभी की  तरफ से जन्म दिन की बहुत बहुत  बधाई और स्नेह।  संजय और बच्चों को ढेर सारा प्यार।ब्यान  जी सा को नमस्ते । . 
                                                                                                                                                      ------ मम्मी -पापा ,  १४ फरवरी 2014 माघ शुक्ल  संवत 2070

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