Monday 5 March 2012

किसी भी देश की जनता के लिए अपनी भाषा का सवाल उसके सम्पूर्ण अस्तित्व का सवाल होता है किन्तु हमारे जैसे औपनिवेशिक गुलामी से गुजरे हुए देशों में यह वर्गीय विडबना में फंसकर केवल निम्नवर्ग का सवाल बनकर रह जाता है |आज देश में अंगरेजी से ऊंची नौकरियों पर आसानी से उच्च-और उच्च -मध्य वर्ग कब्जा कर लेता है |उसके लिए अंगरेजी में शिक्षा एक तरह का आरक्षण है और सत्ता पर काबिज रहने का एक सस्ता नुस्खा भी |सामान्य जन के साथ यह एक ऐसा षड्यंत्र है जो आसानी से समझ में नहीं आता |यह दिक्कत सामान्य मध्य और निम्न मध्य वर्ग के बच्चों के साथ है जिनकी आवाज अभी नक्कार-खाने में तूती की आवाज जैसी भी नहीं है |तथाकथित लोक-तांत्रिक सता का गठन जाति-सम्प्रदाय पूंजी और गुंडई के सहयोग से हो जाता है , दूसरे ग्लोब्लाएजेशन ने कोढ़ में खाज का कम अलग से कर दिया है |जरूरत है कि इस सवाल को लेकर उक्त वर्गों का युवा वर्ग सामने आये और इसे एक राजनीतिक सवाल बनाये तो क्या नहीं हो सकता है |

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