फाग के भीर अभीरन त्यों , गहि गोबिँदै ली गयी भीतर गोरी |
भाइ करी मन की पद्माकर , ऊपर नाइ अबीर की झोरी |
छीनि पितम्बर कम्मर तें , सु बिदा दई मींड कपोलन रोरी |
नैन नचाय कही मुसकाय , लला फिर अइयो खेलन होरी |
भाइ करी मन की पद्माकर , ऊपर नाइ अबीर की झोरी |
छीनि पितम्बर कम्मर तें , सु बिदा दई मींड कपोलन रोरी |
नैन नचाय कही मुसकाय , लला फिर अइयो खेलन होरी |
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