Monday, 26 March 2012

रजत भाई  को बहुत- बहुत बधाई , सुखद संयोग था कि  मैं और शाकिर भाई २४ मार्च को अमर कंटक में थे | २३ मार्च को शहीद भगत सिंह के बलिदान दिवस पर बिलासपुर के आयोजन में शामिल होने का प्रसंग था | यहीं मालूम हुआ कि रजत अमरकंटक आये हुए हैं , तो अमरकंटक से नर्मदा और सोन  नदियों के उदगम स्थल को देखने और मित्रों से मिलने की लालसा को जैसे पंख लग गए , यहीं मालूम हुआ कि कवि-कथाकार उदय प्रकाश भी यहीं हैं तो मन में घोड़े दौड़ने लगे | अमरकंटक में मालूम हुआ कि रजत कल ही जा चुके और उदय प्रकाश यहाँ से २७ किलो मीटर की दूरी पर हैं तो नेत्रों में उनकी छवि को बसाकर लौट आना पडा , बहरहाल ,अधूरा सुख  फिर भी मिला, प्रसंग से ही सही | बिलासपुर लौटना था , वहां उत्तर - आधुनिक दर्शन और हिन्दी कहानी पर आदरणीय राजेश्वर सक्सेना जी का व्याख्यान सुनने का लोभ मन में था |

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