Friday 2 March 2012

जो लोग यह मानते हैं कि  फलां-फलां का मूल्यांकन नहीं हो पाया है , उनका मूल्यांकन करने का प्रयास दूसरों को करना चाहिए | लोकतंत्र का युग है , जहां किसी को किसी ने कोई अच्छा काम करने से रोक नहीं रखा है | हमेशा शिकायत करते रहने और कुछ नामवर आलोचकों को कोसते रहने से बात बनने वाली नहीं है |समझदार लोगों को अपना आलस्य त्याग कर आलोचना-कर्म में तत्परता से लगना चाहिए ,जिससे उपेक्षितों का भला हो सके |

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