Wednesday, 15 February 2012

 यह गद्य -अंश ही  नहीं ,प्रेमचंद जी की एक बेहतरीन कविता भी है |पीड़ा की गहरी अनुभूति और उससे मुक्ति के उपाय का दर्शन आँखें खोलने वाला है | जो लोग इस समय इतिहास का अंत देखने और करने में लगे हैं ,उनको देखना चाहिए कि यह दुनिया उतनी ही नहीं है जिसमें वे कूप-मंडूक की तरह रहते हैं |

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