अँधेरे में
रात ब्याध के
घेरे में
दिन ढका
अँधेरे में |
खंड-खंड पाखण्ड कि
- इतना
कोइ बिरला बूझे ,
तकनीकी तलवारें
--तनती
दीपशिखा से जूझे |
मन का औरंगजेब
छिपा
शैतानी डेरे में |
अँधेरे में
रात ब्याध के
घेरे में
दिन ढका
अँधेरे में |
खंड-खंड पाखण्ड कि
- इतना
कोइ बिरला बूझे ,
तकनीकी तलवारें
--तनती
दीपशिखा से जूझे |
मन का औरंगजेब
छिपा
शैतानी डेरे में |
ऐसा बिजली समय
अभी तक
किसने था देखा ,
व्योम भाल पर
खिंची काल की
विद्युत् -गति रेखा |
सांस घुटी सूरज की
लेकिन
सूखे झेरे में |
रात ब्याध के
घेरे में
दिन ढका
अँधेरे में |
रात ब्याध के
घेरे में
दिन ढका
अँधेरे में |
खंड-खंड पाखण्ड कि
- इतना
कोइ बिरला बूझे ,
तकनीकी तलवारें
--तनती
दीपशिखा से जूझे |
मन का औरंगजेब
छिपा
शैतानी डेरे में |
अँधेरे में
रात ब्याध के
घेरे में
दिन ढका
अँधेरे में |
खंड-खंड पाखण्ड कि
- इतना
कोइ बिरला बूझे ,
तकनीकी तलवारें
--तनती
दीपशिखा से जूझे |
मन का औरंगजेब
छिपा
शैतानी डेरे में |
ऐसा बिजली समय
अभी तक
किसने था देखा ,
व्योम भाल पर
खिंची काल की
विद्युत् -गति रेखा |
सांस घुटी सूरज की
लेकिन
सूखे झेरे में |
रात ब्याध के
घेरे में
दिन ढका
अँधेरे में |
No comments:
Post a Comment