पूंजी का गोरखधंधा सबको नाच नाचता है , जो नहीं नाचना चाहते उनको नाच
दिखाता है । एक तरफ बल्ला नाच रहा है तो दूसरी तरफ पतुरिया नृत्य कर रही
हैं । जो क्रिकेट देखने नहीं आयेगा वो नाच देखने आयेगा । उनको देखने और
टिकट खरीदने से मतलब है । एक साथ दो चीज देखने को मिल जाएँ तो फिर क्या
कहना ?ये दुनिया एक सर्कस है प्यारे , जहां नाच ही केंद्र में है । पूंजी
के प्रपंच में नैतिकता स्वयं नग्न हो जाती है ।
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