अवकाश कितना जरूरी है स्वास्थ्य के लिए। काश ,यह दुनिया के सभी मेहनतकशों को भी सुलभ होता।आज कई दिनों के बाद फिर फेसबुक पर। अंतराल न हो तो जीना दूभर हो जाए। रविवार न हो तो जानिये कि कैसी हो जाएगी यह दुनिया ?
इस बीच १ मई को मजदूर दिवस पर अपने नगर के श्रमिक संगठनों के साथ हिस्सेदारी की और ५ मई को युगपुरुष कार्ल मार्क्स के बारे में सोचता रहा कि किस तरह से कहाँ जा पहुंचा था यह महापुरुष। पुरुष नहीं पुरुष-श्रेष्ठ। आगे भी मानवता की राह इन्ही के चिंतन से बन पाएगी।
बनारस के महासंग्राम पर नज़र है , कौरव कितने ही तीसमारखां क्यों न हों ,जीत पांडवों की होगी , तभी सत्य पर विश्वास बना रह सकेगा। बनारस का मतदाता समझदारी से काम लेगा ,इस पर पूरा भरोसा है।
इस बीच १ मई को मजदूर दिवस पर अपने नगर के श्रमिक संगठनों के साथ हिस्सेदारी की और ५ मई को युगपुरुष कार्ल मार्क्स के बारे में सोचता रहा कि किस तरह से कहाँ जा पहुंचा था यह महापुरुष। पुरुष नहीं पुरुष-श्रेष्ठ। आगे भी मानवता की राह इन्ही के चिंतन से बन पाएगी।
बनारस के महासंग्राम पर नज़र है , कौरव कितने ही तीसमारखां क्यों न हों ,जीत पांडवों की होगी , तभी सत्य पर विश्वास बना रह सकेगा। बनारस का मतदाता समझदारी से काम लेगा ,इस पर पूरा भरोसा है।
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