अन्धेरा पहले से बढ़ा है
क्यों कि बाज़ार का भाव
तेजी से चढ़ा है
जब जब बाज़ार भाव बढ़ता है
तब तब अन्धेरा
आसमान चढ़ता है
बाजार की रोशनी
बहुत बड़ा धोखा है
यह रोशनी की कांख में
अन्धकार छिपा कर लाता है
और उसे विकास बतलाता है
इसने न जाने दूसरों का
कितना रक्त पिया है
कितना सोखा है
इंसानियत के रथ को
इसने ही रोका है
बाज़ार अब
तख्ते ताऊस पर बैठना चाहता है
इसे पता नहीं कि
दिल्ली अभी दूर है
यह नहीं जानता
दीवाने ख़ास गुलाम हो सकता है
दीवाने आम नहीं।
क्यों कि बाज़ार का भाव
तेजी से चढ़ा है
जब जब बाज़ार भाव बढ़ता है
तब तब अन्धेरा
आसमान चढ़ता है
बाजार की रोशनी
बहुत बड़ा धोखा है
यह रोशनी की कांख में
अन्धकार छिपा कर लाता है
और उसे विकास बतलाता है
इसने न जाने दूसरों का
कितना रक्त पिया है
कितना सोखा है
इंसानियत के रथ को
इसने ही रोका है
बाज़ार अब
तख्ते ताऊस पर बैठना चाहता है
इसे पता नहीं कि
दिल्ली अभी दूर है
यह नहीं जानता
दीवाने ख़ास गुलाम हो सकता है
दीवाने आम नहीं।
No comments:
Post a Comment