Wednesday 11 July 2012

आष्ट्रेलिया आए हैं
गीत विदेशी गाए हैं
अपनी-अपनी सुनते हैं
अपनी-अपनी कहते हैं
अपनी बोली भाषा के संग
पेंशर्स्त में रहते हैं
जैसे गाय के जाए हैं |
रोज मिरांडा जाता हूँ
अभि को पहुंचाता हूँ
अवधि पूर्ण हो जाने पर
वापस लेकर आता हूँ
दस से चार बजाए हैं |
वेस्टफील्ड एक मॉल है
बाजारू जंजाल है
इस चमक-दमक की दुनिया में
बुरा हमारा हाल है
मन ने प्रश्न उठाए हैं |
क्रोनाला का सागर-तट
मेरे मन का अक्षय-वट
हरदम भरता रहता है
मेरे भीतर घट प्रति घट
ह्रदय-सिन्धु सरसाए हैं |

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