हर जगह वही
हर जगह वही
सूरज,चाँद
,धरती के बेडौल उभार
क्रूरताओं से भरी ऊँच-नीच
विश्वासघाती छलपूर्ण समानताएं
चकाचौंधी विकास का डरावना अन्धेरा
इकतरफा अदालतें
स्कूली विभाजन
अस्पताली अमानवीयताएं
मध्यवर्गीय नपुन्सक्ताएं
और धोखे भरी मौकापरस्ती
हर जगह वही
समुद्र ,पहाड़ ,नदियाँ
हर जगह
भीतर के तनाव
हर जगह भाड़
हर जगह
वानस्पतिक सघनताओं के बीच
पसरा थार जैसा रेगिस्तान
ये बाहर के महासागर
मेरी प्यास के लिए
बेहद अपर्याप्त हैं
हर जगह वही
नदियाँ ,पेड़-पौधे
और मेरी अहमन्यताएं
सौन्दर्य और प्रेम -प्रतिकूल
जीवन-सलिला के तटों पर
नर-नारी वेश में आता
डकैतों और जल-दस्युओं का आतंक,
आधिपत्य
इनकी पूजा -प्रार्थना
और अभ्यर्थना में लगा
प्रेत सरीखा एक उदरम्भरि वर्ग
उलझाता सवालों को
आने नहीं देता जीवन-पटल पर
खेत जोतते हल जैसे सवालों को
भटकते सवालों पर इन
चला जाता हूँ मैं
अपना घर-बार छोड़कर
उन नदियों के किनारे
जो बहती हैं बीचों-बीच
जिन्दगी के ढूहों ,धोरों और
रेतीले प्रसारों में |
हर जगह वही
सूरज,चाँद
,धरती के बेडौल उभार
क्रूरताओं से भरी ऊँच-नीच
विश्वासघाती छलपूर्ण समानताएं
चकाचौंधी विकास का डरावना अन्धेरा
इकतरफा अदालतें
स्कूली विभाजन
अस्पताली अमानवीयताएं
मध्यवर्गीय नपुन्सक्ताएं
और धोखे भरी मौकापरस्ती
हर जगह वही
समुद्र ,पहाड़ ,नदियाँ
हर जगह
भीतर के तनाव
हर जगह भाड़
हर जगह
वानस्पतिक सघनताओं के बीच
पसरा थार जैसा रेगिस्तान
ये बाहर के महासागर
मेरी प्यास के लिए
बेहद अपर्याप्त हैं
हर जगह वही
नदियाँ ,पेड़-पौधे
और मेरी अहमन्यताएं
सौन्दर्य और प्रेम -प्रतिकूल
जीवन-सलिला के तटों पर
नर-नारी वेश में आता
डकैतों और जल-दस्युओं का आतंक,
आधिपत्य
इनकी पूजा -प्रार्थना
और अभ्यर्थना में लगा
प्रेत सरीखा एक उदरम्भरि वर्ग
उलझाता सवालों को
आने नहीं देता जीवन-पटल पर
खेत जोतते हल जैसे सवालों को
भटकते सवालों पर इन
चला जाता हूँ मैं
अपना घर-बार छोड़कर
उन नदियों के किनारे
जो बहती हैं बीचों-बीच
जिन्दगी के ढूहों ,धोरों और
रेतीले प्रसारों में |
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