Saturday 28 July 2012

गरीबी का पहाड़
छाती पर धरे
हवा-धूप-ताप -रोशनी का
रास्ता रोके खड़ा
बियाबान -सा जीवन
जहरीले-कटीले झाड-झंखाड़
इतनी जडी-बूटियाँ
औषधियां अमरतत्व-दायिनी
जैसे हवाएं जीवन-प्रदायिनी
सभी पर अजगरी दैत्य-सा आधिपत्य
कुछ लोगों ,घरानों
विश्व-विजेताओं का
अभी पशुता का न्याय धरती पर
अभी अंधकार घटाटोप
कि एक हाथ खा रहा
दूसरे हाथ को
कर्म-संलग्न जो
रेत को हटाता
उठाकर फेंकता
साफ़ करता ,रास्ता बनाता
पहाड़ों को काटकर
दर्रों के बीच से
वही ग्रास बनता काल का
उम्र से पहले
जो छीलता घास वही
सबसे पहले खांसता
मरीज़ दमा का
चूल्हे में फोडती आँखें
गृहणियां अनगिनत
इस इक्कीसवीं शती के
मुहाने पर |
लम्बी कथा पुराण-सी
कहीं खतम होने का
नाम नहीं लेती
एशिया ,अफ्रीका के
लैटिन अमरीकी बिरादरी
जिसका प्राण
सोख लिया गया
इतिहास की पाशविक
अहमन्य ताओं और लालची
आकांक्षाओं ने
लापरवाही ,जड़ता ,अकर्मण्यता
प्रमाद अपने भी शामिल
इस सूची में |

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