Wednesday, 18 July 2012

मेरी दिन-चर्या

घर से पैदल
चलकर जाता ,
दादाजी की उंगली पकडे
कभी गोद में भी चढ़ जाता 
स्टेशन पर टिकट कटाता ,|
आते रेल
तुरत चढ़ जाता ,
बैठे-बैठे खाना खाता ,
कविता गाता, गीत सुनाता ,
ठीक समय
शिशु-घर में जाता ,
खूब खेलता और खिलाता ,
डैनी जैसा कहे बताता ,
काम रोज का पूरा करके
वापस फिर घर को आ जाता |
दादी के संग गप्प लड़ाकर
धीरे-धीर मैं सो जाता |
मम्मी आती पापा आते ,
जगकर सबका ,
मन बहलाता |
धूम मचाता
खाना खाकर
फिर सो जाता |

,

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