Friday, 7 August 2015
अंगरेजी चाहे भारत की भाषा न हो किन्तु शासक---भारतीयों और बिचौलियों की भाषा तो है जिसका लोग आसानी से अनुकरण करने लगते हैं |यथा राजा तथा प्रजा कहावत यों ही तो नहीं बनी |
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