समय का बाज़ ------
चिड़ियों में खलबली है
कि समय का बाज़
मुंडेर पर आ बैठा है
उसके पंजों में खून लगा है
नाखूनों में सड़े मांस की दुर्गन्ध
चिड़ियों में बेचैनी है
कि कबूतर मार दिए जायेंगे
तोते उड़ा दिए जायेंगे
मैना की गर्दन मसक दी जायगी
गौरैया गीत गाना भूल जायगी
जंगल को उजाड़ वीरान कर दिया जायगा
बगीचों में मनाही कर दी जायगी
कि अब कोई दूसरा फूल नहीं खिल सकता
एक फूल एक रंग एक देश का सिद्धांत
जो नहीं मानेगा
राष्ट्रद्रोही कहलायगा
समय का बाज़ मुंडेर पर आ बैठा है
पहले जब चिड़ियों का राज था
वे मदहोश थी
सत्ता के रथ में बैठी
रसपान करती थी
अपने ही रक्त का
अपने भतीजे भाई थे
अपना परिवार था
राजनीति की दूकान में
अपना ही कारोबार था
जातियों के गणित लगाए जाते थे
सम्प्रदायों के सतूने
बिठाकर शतरंज की बाज़ी
जीत ली जाती थी
रथ आता तो घोड़ा पकड लिया जाता था
पर ऐसा कब तक हो सकता है
जब जमीन देने लगती है जबाव
आसमान भी अपना नहीं रहता
अर्थनीति आती थी विश्व बेंक से
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष
चिड़ियों का चुग्गा बनाता था
कुछ पिछलग्गू थे
जिनकी अपनी जमीन नहीं थी
बेखबर थे कि
बाज़ लगातार रणसंधि करने में लगा है
उसने कबूतरों के लिए पाठशालाएं खोली हैं
गाँव ---ढाणी से लगाकर
शहर --महानगर के हर मोहल्ले तक
जाल बिछ गया है
संगठनों का तराऊपर
घर घर में
मंदिर निर्माण की खुली चर्चा
तोते करते हैं
पेड़ों के नीचे सुबह सुबह
चिड़ियों को चुग्गा डाला जाता है
दिमाग की सिल पर ऐसी भंग पीसी जाती है
कि पीने वाला सुधबुध खो बैठता है
सब कुछ मालूम था कि
व्यापारी किसी का सगा नहीं होता
उसे जो चुग्गा डालता है उसका हो जाता है
उसे आपकी सूरत और सीरत से कुछ लेना देना नहीं
वह व्यापारी है पूंजी का दलाल है
उसके लिए सब कुछ जायज है , हलाल है
आपका इतिहास जो हो
उसे आप खुद भूल चुके हैं
वह अब न तुम्हारे काम का है
न तुम्हारे अनुचरों का
जहां सोच--विचार पर ताला जड दिया गया है
पेड़ों को ठूंठों में बदल दिया गया है
वहाँ गिद्धों को आमन्त्रण आपने दिया है
जहां गिद्ध आने लगते हैं
वहाँ आता है ---समय का बाज़ भी |
चिड़ियों में खलबली है
कि समय का बाज़
मुंडेर पर आ बैठा है
उसके पंजों में खून लगा है
नाखूनों में सड़े मांस की दुर्गन्ध
चिड़ियों में बेचैनी है
कि कबूतर मार दिए जायेंगे
तोते उड़ा दिए जायेंगे
मैना की गर्दन मसक दी जायगी
गौरैया गीत गाना भूल जायगी
जंगल को उजाड़ वीरान कर दिया जायगा
बगीचों में मनाही कर दी जायगी
कि अब कोई दूसरा फूल नहीं खिल सकता
एक फूल एक रंग एक देश का सिद्धांत
जो नहीं मानेगा
राष्ट्रद्रोही कहलायगा
समय का बाज़ मुंडेर पर आ बैठा है
पहले जब चिड़ियों का राज था
वे मदहोश थी
सत्ता के रथ में बैठी
रसपान करती थी
अपने ही रक्त का
अपने भतीजे भाई थे
अपना परिवार था
राजनीति की दूकान में
अपना ही कारोबार था
जातियों के गणित लगाए जाते थे
सम्प्रदायों के सतूने
बिठाकर शतरंज की बाज़ी
जीत ली जाती थी
रथ आता तो घोड़ा पकड लिया जाता था
पर ऐसा कब तक हो सकता है
जब जमीन देने लगती है जबाव
आसमान भी अपना नहीं रहता
अर्थनीति आती थी विश्व बेंक से
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष
चिड़ियों का चुग्गा बनाता था
कुछ पिछलग्गू थे
जिनकी अपनी जमीन नहीं थी
बेखबर थे कि
बाज़ लगातार रणसंधि करने में लगा है
उसने कबूतरों के लिए पाठशालाएं खोली हैं
गाँव ---ढाणी से लगाकर
शहर --महानगर के हर मोहल्ले तक
जाल बिछ गया है
संगठनों का तराऊपर
घर घर में
मंदिर निर्माण की खुली चर्चा
तोते करते हैं
पेड़ों के नीचे सुबह सुबह
चिड़ियों को चुग्गा डाला जाता है
दिमाग की सिल पर ऐसी भंग पीसी जाती है
कि पीने वाला सुधबुध खो बैठता है
सब कुछ मालूम था कि
व्यापारी किसी का सगा नहीं होता
उसे जो चुग्गा डालता है उसका हो जाता है
उसे आपकी सूरत और सीरत से कुछ लेना देना नहीं
वह व्यापारी है पूंजी का दलाल है
उसके लिए सब कुछ जायज है , हलाल है
आपका इतिहास जो हो
उसे आप खुद भूल चुके हैं
वह अब न तुम्हारे काम का है
न तुम्हारे अनुचरों का
जहां सोच--विचार पर ताला जड दिया गया है
पेड़ों को ठूंठों में बदल दिया गया है
वहाँ गिद्धों को आमन्त्रण आपने दिया है
जहां गिद्ध आने लगते हैं
वहाँ आता है ---समय का बाज़ भी |
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