Friday, 18 September 2015
सम्भव हो तो साहित्यकारों को अपने स्तर पर ,छोटे स्तर के ही सही, हिन्दी विश्व सम्मेलन आयोजित करने चाहिये ।सत्ता के हिन्दी सम्मेलन तो पक्षपाती ,भेद राजनीति वर्धक और अहम्मन्यता से भरे ही होंगे ।
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