Sunday 20 September 2015

मुक्तिबोध की सिफ्त यह रही है कि हर सवाल की शुरूआत वे खुद से करते हैं जबकि दूसरे अधिकांश खुद को बचाकर ।आत्मबोध उनकी ऐसी शक्ति है जो उनके हर विचार को अनुभव की आंच में पकाकर सौ टंच खरा बना देती है ।जीवनानुभवों ने उनके रचना कर्म में वह निखार पैदा कर दिया है जो दूर से सूरज की तरह दमकता है।

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