Saturday 19 September 2015

मेवात में
मेरा गांव
टटलूबाजी के लिये
सबसे ज्यादा बदनाम है
लेकिन इस सत्य को
कौन जानता है
कि इसमें गति तब से आई
जब दिल्ली में
धन नीति को
उदारता के वेश में
सजाया गया
टटलूबाजी में
पीतल की ईंट को
सोने की बना देने की कला
स्वर्ण मृग से प्रभावित
पता नहीं कितनी रही होगी
किन्तु यह सच है
कि गांव में इसमें तेजी तब आई
जब दिल्ली में
कामनवेल्थ खेल घोटाला सामने आया
और जब
कोयला घोटाले से ऊंचे लोग
मालामाल हुए
पीतल से बनी सोने की ईंट का
कारोबार एक दिन में नहीं चला
यह वैसे वैसे फलाफूला
जैसे जैसे नौकरशाही और नेतागीरी ने
जयपुर भोपाल लखनऊ पटने में
पीतल को सोने में बदला
पटवारी ने पटवार हल्के में
थानेदार ने थाना क्षेत्र में
जो जहां है अधिकारी है
कारोबारी है
पीतल को सोने में बदल रहा है
सब जगह
यही जादू चल रहा है
ऐसे ही कारोबारी रिश्तों से
आजकल शहर और गांव के बीच का
नया वृक्ष फल रहा है।

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