Sunday 20 September 2015

हिन्दी दिवस के नाम से चालू हुए कर्मकाण्ड से अब जितनी जल्दी मुक्ति मिल जाय उतना ही हिन्दी का भला है ।इससे ऊर्जा,समय और धन तीनों की बचत होगी और हिन्दी दिवस के नाम से होने वाले पाखण्ड से भी मुक्ति मिलेगी ।हिन्दी को ज्ञान समृद्ध बनाकर ही उसे विश्वभाषाओं में स्थान दिलाया जा सकता है।

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