Saturday, 19 September 2015

मुक्तिबोध को इस संसार से गये आज इक्यावन साल हो गये ।लगता है अंधेरे में कविता इन्हीं दिनों लिखी गई है ।समय की इतनी मजबूत पकड वाला शायद ही कोई दूसरा हो ।

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