आओ लौट चलें
अपने गाँव
वे भी लौट गए
जो निकले थे बदलने के लिए
ख़म ठोक कर
ऐसा लगा
यह उनका हवाखोरी करने का समय था
मीडिया के चुहलाबाजों को गच्चा देने का ।
आओ लौट चलें
अपने गाँव
वे ही करेंगे ढिबरी टाइट
क्योंकि लोकतंत्र की लालटेन
आज भी उनके ही पास है
आओ लौट चलें
अपने गाँव ।
अपने गाँव
वे भी लौट गए
जो निकले थे बदलने के लिए
ख़म ठोक कर
ऐसा लगा
यह उनका हवाखोरी करने का समय था
मीडिया के चुहलाबाजों को गच्चा देने का ।
आओ लौट चलें
अपने गाँव
वे ही करेंगे ढिबरी टाइट
क्योंकि लोकतंत्र की लालटेन
आज भी उनके ही पास है
आओ लौट चलें
अपने गाँव ।
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