Monday, 24 June 2013

स्थापत्य कला ही नहीं होती ,अनुभव प्रसूत विज्ञान भी होती है । वैसे तो सारी कलाएं ही अपने समय के  तर्क से संचालित होती हैं और उनमें जीवनानुभवों  के रूप में विज्ञान का एक पक्ष रहता है ,उसी का उपयोग हमारे मेहनतकश शिल्पी करते रहे । ताजमहल तो यमुना के ठीक किनारे पर खडा है और किले हज़ारों सालों से गिरिशिखिरों  पर । हमारे पूर्वज हमारी तरह हर चीज में चमत्कार खोजने के बजाय जीवन के नये से नये  अनुभवों का आनंद लेते थे और अपने कर्म पर भरोसा रखते थे । केदारनाथ का मंदिर उसी अनुभव-प्रसूत कर्म का प्रमाण है ।

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