वह चिड़िया
मुझे पसंद है
वह अपने घोंसले से बाहर
आरही है जैसे
बकरियां सुबह -सुबह
अपने बाड़े से बाहर आती हैं
तो कितना उछलती-कूदती
और सींगों से सींग भिडाती हैं
मस्ती रहित जीवन
निस्पंद है जैसे हो
कोई सन्देश
वह चिड़िया
चहचहाती है जैसे बाँध को तोड़कर
बहने वाला जल उछलता है
अपने रंग की निर्मलता के संग नृत्य करता हुआ
रोज सुबह वह टिटहरी चहलकदमी करती है
जब अमलतास और शिरीष के फूल
खिलने की होड़ में
एक दूसरे के गले मिलते हैं
वह लडकी
कितनी सुंदर है
जिसने अपना रास्ता
सूरज की चाल को देखकर चुना
वह लडकी सोचती है
पेड़ों में फूल खिलने से लगाकर
बीज बनने की प्रक्रिया तक
केवल पुस्तकों से नहीं
बीज को अंकुरित होते देखकर जानती है
फल और पेड़ दोनों का हालचाल ।
वह लडकी सोचती है
मुझे पसंद है
वह अपने घोंसले से बाहर
आरही है जैसे
बकरियां सुबह -सुबह
अपने बाड़े से बाहर आती हैं
तो कितना उछलती-कूदती
और सींगों से सींग भिडाती हैं
मस्ती रहित जीवन
निस्पंद है जैसे हो
कोई सन्देश
वह चिड़िया
चहचहाती है जैसे बाँध को तोड़कर
बहने वाला जल उछलता है
अपने रंग की निर्मलता के संग नृत्य करता हुआ
रोज सुबह वह टिटहरी चहलकदमी करती है
जब अमलतास और शिरीष के फूल
खिलने की होड़ में
एक दूसरे के गले मिलते हैं
वह लडकी
कितनी सुंदर है
जिसने अपना रास्ता
सूरज की चाल को देखकर चुना
वह लडकी सोचती है
पेड़ों में फूल खिलने से लगाकर
बीज बनने की प्रक्रिया तक
केवल पुस्तकों से नहीं
बीज को अंकुरित होते देखकर जानती है
फल और पेड़ दोनों का हालचाल ।
वह लडकी सोचती है
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