Thursday, 20 September 2012

आदरणीय भाई ,
आपका हिंदी में मेल पाकर बहुत अच्छा लगा |मुझे भी यद्यपि यह विद्या बहुत अच्छी तरह नहीं आती पर काम चला लेता हूँ |आपका स्वागत है |तकनीक ने पत्र-लेखन की विधा को यह नया आयाम दे दिया है |न कागज बीच में न डाकिया , न चिट्ठी खोने का झंझट और न ही लंबा इंतज़ार |देश की सीमाओं का अतिक्रमण |अन्यथा सिडनी और फरीदाबाद कैसे इतने नज़दीक हो पाते |कभी पूरी वसुधा ऐसे ही एक हो जायेगी |देश ,प्रान्तों की जगह ले लेंगे |विश्व की कोई एक केन्द्रीय सरकार होगी |समाजवाद का सपना ऐसे ही पूरा होगा |------भाभी जी को प्रणाम कहिएगा ,एनी सभी को प्यार |-----आपका ------जीवन सिंह

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