परसाई जी जैसा ऊंचाइयों वाला लेखक ही संबंधों में इतना गहरे उतरकर लिख सकता है |जहाँ वास्तव में मनुष्यता का लहलहाता हुआ तालाब हैं वहीँ ऐसी लहरें उठ सकती हैं |मुक्तिबोध अपने जीवन और कविता में एक जैसे थे , उनमें वह फांक नहीं थी जो आमतोर पर कवियों - साहित्यकारों में देखने को मिलती है |लिखना कुछ और करना कुछ , | कितने साहित्यकार हैं , जिनके ऐसे संस्मरण हैं ?पढ़ते हुए आज भी आँखों में आंसू आये बिना नहीं रहते |
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