कल यकायक
एक तितली उड़ती हुई आई
उसने मेरे काम में खलल डाला
मैंने उसे अपने पाँव से
मसल दिया
लेकिन यह क्या हुआ
मेरा मन कोसता रहा देर तक मुझे
इसी से मैंने जाना कि
जब मन डिक्टेटर हो जाता है
यही करता है।
एक तितली उड़ती हुई आई
उसने मेरे काम में खलल डाला
मैंने उसे अपने पाँव से
मसल दिया
लेकिन यह क्या हुआ
मेरा मन कोसता रहा देर तक मुझे
इसी से मैंने जाना कि
जब मन डिक्टेटर हो जाता है
यही करता है।
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