लहर की नाव पर बैठकर
जो अपना वोट देगा
क्या वह जानता है कि
ये लहर
कुछ दूर चलकर
एक ऐसे भंवर में
बदल जायगी जो आपको
कभी किनारे नहीं लगने देगी
डूबने से बचना है तो
लहर से बचो
अपनी पतवार स्वयं बनो
जैसे मल्लाह के हाथ
बनते है और नाव अपने
ठिकाने पर लगती है।
जो अपना वोट देगा
क्या वह जानता है कि
ये लहर
कुछ दूर चलकर
एक ऐसे भंवर में
बदल जायगी जो आपको
कभी किनारे नहीं लगने देगी
डूबने से बचना है तो
लहर से बचो
अपनी पतवार स्वयं बनो
जैसे मल्लाह के हाथ
बनते है और नाव अपने
ठिकाने पर लगती है।
No comments:
Post a Comment