Monday 23 April 2012

एक गैर-हिंदी -भाषी महानगर में आपने कविता की अपनी जमीन को सहेज कर रख रखा है , यह बेहद सुखकर और प्रीतिकर  है |कविता को सच की दीवार की एक-एक ईंट के रूप में परिभाषित करना आपकी वस्तुगत कल्पनाशीलता और यथार्थ के रू-ब-रू  होने का सबूत है | अन्य कवितायें भी आपके मिजाज का साक्ष्य प्रस्तुत करती हैं |भाव का विवेक के साथ साहचर्य बनाये रखना आपकी सृजन - कला की खासियत है |

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