Saturday 28 April 2012

मध्य वर्ग का निम्न मेहनतकश वर्ग की जिन्दगी के अनुभवों से लगातार कटते और दूर होते जाना और अपने ही एक मिथ्या क्रांतिकारी संसार में हवाई किले बनाना |यह मध्यवर्गीय बीमारी है | इससे मुक्ति तभी सम्भव है जब उसके जीवन के सैद्धांतिक-विचारधारात्मक सरोकार ही नहीं वरन व्यावहारिक जीवन में भी वह निम्न - मेहनतकश वर्ग से स्वयम को सम्बद्ध रखे |इससे उसके जीवनानुभव भी समृद्ध होंगे और उसका व्यक्तित्त्व -निखार भी होगा | फिर उसकी कला  का तेज  ही कुछ अलग तरह का होगा | उसमें धैर्य भी आ जायगा और प्रसिद्धी  , पुरस्कार एवं सम्मान पाने की लालसा भी कम हो जायेगी |

No comments:

Post a Comment