मध्य वर्ग का निम्न मेहनतकश वर्ग की जिन्दगी के अनुभवों से लगातार कटते और
दूर होते जाना और अपने ही एक मिथ्या क्रांतिकारी संसार में हवाई किले बनाना
|यह मध्यवर्गीय बीमारी है | इससे मुक्ति तभी सम्भव है जब उसके जीवन के
सैद्धांतिक-विचारधारात्मक सरोकार ही नहीं वरन व्यावहारिक जीवन में भी वह
निम्न - मेहनतकश वर्ग से स्वयम को सम्बद्ध रखे |इससे उसके जीवनानुभव भी
समृद्ध होंगे और उसका व्यक्तित्त्व -निखार भी होगा | फिर उसकी कला का तेज
ही कुछ अलग तरह का होगा | उसमें धैर्य भी आ जायगा और प्रसिद्धी ,
पुरस्कार एवं सम्मान पाने की लालसा भी कम हो जायेगी |
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