Thursday 12 July 2012

मेघा आए उमड़-घुमड़ कर
नभ में छाए उमड़-घुमड़ कर
जब चाहें आ जाते हैं
सूरज को धमकाते हैं
हमको आँख दिखाते हैं
हाथों में छाते पकडाए ,उमड़-घुमड़ कर
आते हैं तो आते हैं
अन्धकार कर जाते हैं
घर में हमें छ्हिपाते हैं
पानी के पीपे ढरकाए ,उमड़-घुमड़ कर

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