Thursday, 12 September 2013

अपनी ही गाता हूँ
अपनी ही सुनता हूँ
अपनी ही लीला है
अपनी ही रोटी है ,
अपना ही चीला है
अपना ही गायन है
अपनी रामायण है

अपना ही लाल किला
सब देश अपना है
राम राम जपना है
 पराया माल अपना है
अपनी ही ढपली है
अपना ही राग है
अपने नाम का डंका है
अपन विकास पुरुष हैं
अपनी सोने की लंका है । 

No comments:

Post a Comment