भारतीयता में एक अध्याय इस्लामी-दर्शन का भी है , जो सूफियों के रंग में रंग कर भारतीय बना है , जिसने ईरानी तहजीब से बहुत कुछ लिया है उसको लौटाया भी है । हमारी मीरा तक उस रंग में रंगी हुई हैं । तो भारतीयता तो है बशर्ते कि हमारी दृष्टि खुली हुई और नीचे तक पहुँचने की क्षमता रखती हो ।
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