नैतिक एवं मानवीय मूल्य हमारे जीवन - व्यवहार और आचरण से जुडी समस्या है , जो काव्य-सृजन का आधार है । इसीलिये काव्य-साधना को जीवन-साधना से जोड़ा गया । हमारी भक्तिकालीन कविता जीवन-साधना का बहुत बड़ा उदाहरण है । जहां कवि लगातार अपना आत्मालोचन करता है । कबीर हमारे जीवन ,जीने के मानदंड भी हैं । जैसे निराला के बारे में त्रिलोचन कहते हैं ----"-मानदंड जीवन के , मन के । "
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