Tuesday 17 September 2013

जिनके पास बिना मेहनत के कमाई आवारा पूंजी है , वे जो चाहें , जितना चाहें आदमी को खरीद सकते हैं । अब यह आदमी पर है कि वह कितना आदमी बनकर खडा रह सकता है । आदमी अभी संत नहीं कि --लोभ-लालच से ऊपर उठकर राम विलास जी की तरह उदाहरण पेश करे । आवारा पूंजी ने आज न जाने कितने दरख्तों को धराशायी कर दिया है ?

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