Tuesday 17 September 2013

हाँ ऐसा होता है
हो सकता है
वह समय खत्म हुआ
जब ऐसा नहीं होता था
कहाँ  था दूर गाँव जिसमें
आग लगी थी
उसके बहुत पास ही तो
पुलिस खडी थी
शासन-प्रशासन सब मौजूद था
सरकार सन्नाटे भर रही थी
सब कुछ तो था जब बगल के घर में
आग लगी थी


गुजरात में ऐसा ही तो हुआ  था
घर के बगल आग लगी थी
अगल में तमाशा देखने वाले लोग थे
होता है ऐसा भी होता है
एक घर में आग लगती है
दूसरे  में तमाशा देखता है
या फिर उस आग में शामिल होता है ।

हाँ ऐसे लोग भी होते हैं जो
हथेली पर लेकर अपनी जान
कूद पड़ते हैं मैदान में
यहाँ भी तो ऐसा हुआ जब
संजीव बालियान  कूद पड़ा था
ललकारते हुए आग के दरिया में ।
मानवता की छाँह में
तब एक नवजात जन्म लेता है ।

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