Friday, 13 September 2013
भारतीयता का एक अध्याय लोक -जागरण से निर्मित हुआ मध्यकाल में ,इसके बाद दूसरा उन्नीसवीं सदी के नवजागरण में और तीसरा प्रगतिशील-जनवादी आन्दोलन में । कहने का मतलब यह है कि भारतीयता एक सरित -प्रवाह की तरह है एक सजल मूल सरिता ।
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