शोषण, व्यक्ति और उससे जुडी व्यवस्था किया करती है आपस में कला -विधाएं एक
दूसरे का सहयोग करती हैं । शोषक वर्ग की भाषा और साहित्य में सचाई को
छुपाने की कोशिशें लगातार की जाती रही हैं । वे व्यक्ति की बात ज्यादा करते
हैं । समाज की भी करेंगे तो बहुत अमूर्त ढंग से । दोनों के बीच कोई
द्वंद्वात्मक रिश्ता भी होता है वे नहीं बतलाते ।
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