राष्ट्रवाद
जो जीवन भर
विभाजित और सूखी नदी को
और शूलों छिदी लहूलुहान धरती को
राष्ट्र की विचारधारा में लपेटे रहे
वहाँ हमेशा
मरे चूहे की तरह
आत्मा का वीभत्स उल्लास
और कारोबारी अजगरों के दांत
जीवन-तत्व पर गड़े होते
उनके हाथ से रोपे गए
पेड़ों में हमेशा विषफल ही लगते
कभी वे आदमी की तरह
आदमी के चेहरे को नहीं देख पाए
उनके मुख से
प्रदूषित चिमनियों का धुंआ निकलता
जैसे ओले हरी फसल का
कर देते हैं विनाश
उनके पास आग से भरी
अंगीठी है जो
बस्तियों को क्षण भर में
ख़ाक कर सकती है
जैसे उनके पास डर का कोड़ा है
जिसे वे पीठ के पीछे रखते हैं
उनके द्वारा बनाए जा रहे
नरक-कुण्ड के चारों ओर
इंद्र की अप्सराएं जाल बिछा रही हैं
पर वह
इतनी आसानी से
आत्माओं को फंसाने में
कामयाब नहीं होगा
समझ लेना ।
जो जीवन भर
विभाजित और सूखी नदी को
और शूलों छिदी लहूलुहान धरती को
राष्ट्र की विचारधारा में लपेटे रहे
वहाँ हमेशा
मरे चूहे की तरह
आत्मा का वीभत्स उल्लास
और कारोबारी अजगरों के दांत
जीवन-तत्व पर गड़े होते
उनके हाथ से रोपे गए
पेड़ों में हमेशा विषफल ही लगते
कभी वे आदमी की तरह
आदमी के चेहरे को नहीं देख पाए
उनके मुख से
प्रदूषित चिमनियों का धुंआ निकलता
जैसे ओले हरी फसल का
कर देते हैं विनाश
उनके पास आग से भरी
अंगीठी है जो
बस्तियों को क्षण भर में
ख़ाक कर सकती है
जैसे उनके पास डर का कोड़ा है
जिसे वे पीठ के पीछे रखते हैं
उनके द्वारा बनाए जा रहे
नरक-कुण्ड के चारों ओर
इंद्र की अप्सराएं जाल बिछा रही हैं
पर वह
इतनी आसानी से
आत्माओं को फंसाने में
कामयाब नहीं होगा
समझ लेना ।
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