पहली बारिश
कल यहाँ
बारिश का पांखी
इतना उड़ा
जैसे आसमान हँस -हँस कर
धरती से दिल खोल कर
बात कर रहा है
सभी दिशाएं खेतों से
कानाबाती करती
नीम-तरुओं की
शाखाओं पर
झूले डाल
पींग मचकाती
झोटे पर झोटे
खाने लगी
पहली बारिश का पांखी
जब उड़ान भरता है
तो निचले पहाड़ों पर
धीरे-धीरे उतरता पानी
रोशनी की तरह
दिखाई देता है
इस रोशनी ने
आज अलवर के बाजार में
हम दोनों को
तरबतर कर दिया ।
कल यहाँ
बारिश का पांखी
इतना उड़ा
जैसे आसमान हँस -हँस कर
धरती से दिल खोल कर
बात कर रहा है
सभी दिशाएं खेतों से
कानाबाती करती
नीम-तरुओं की
शाखाओं पर
झूले डाल
पींग मचकाती
झोटे पर झोटे
खाने लगी
पहली बारिश का पांखी
जब उड़ान भरता है
तो निचले पहाड़ों पर
धीरे-धीरे उतरता पानी
रोशनी की तरह
दिखाई देता है
इस रोशनी ने
आज अलवर के बाजार में
हम दोनों को
तरबतर कर दिया ।
No comments:
Post a Comment