Tuesday, 9 July 2013

पहली बारिश


कल यहाँ
बारिश का पांखी
इतना उड़ा
जैसे आसमान हँस -हँस  कर
धरती से दिल खोल कर
बात कर रहा है

सभी दिशाएं खेतों से
कानाबाती करती
नीम-तरुओं की
शाखाओं पर
झूले डाल
पींग मचकाती
झोटे पर झोटे
खाने लगी


पहली बारिश का पांखी
जब उड़ान भरता है
तो निचले पहाड़ों पर
धीरे-धीरे उतरता पानी
रोशनी की तरह
दिखाई देता है

इस रोशनी ने
आज अलवर के बाजार में
हम दोनों को
तरबतर कर दिया ।

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