Saturday 27 July 2013

अज्ञेयवाद  के पैर एक जमाने में नागार्जुन ,केदार , त्रिलोचन और मुक्तिबोध के रचनाकार और प्रगतिशील जनवादी आन्दोलन ने तोड़ दिए थे । उत्तर-आधुनिक माहौल का फायदा उठाकर कुछ लोग उसे फिर जीवित कर अपनी रोटी सेंकना चाहते थे , लेकिन पृथ्वी कभी वीर-विहीन नहीं होती, जिन साथियों  ने मोर्चा सम्भाला , उनको सलाम ।

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