बदलने होंगे रास्ते
इन रास्तों पर
रोपे जा रहे हैं बबूल
ताकि बिखरे रह सकें कांटे
रास्ता जो
खुद नहीं खोज सकता
वह सांप की तरह
दूसरों के बनाए बिलों की
तलाश करता है
यह समय
दूसरों को धक्का देकर
अपना घर बनाने का समय है
अपने प्रासादों को
उठाने का समय है
यहाँ खेतों की दर्द भरी कहानी सुनने को
कोई तैयार नहीं
यहाँ पोखर के किनारे
बगुलों का बसेरा है
जो केवल आखेट करने की कला जानते हैं
अब स्मृतियाँ धोखा खाने लगी हैं
क्वार में बरसे मेघों की सिफ्त को
भूलने में जो अपना भला समझते हैं
उनसे अब कोई उम्मीद नहीं
जब ये नीम -पीपल की काठी वाले
लोग खड़े होंगे
तब ही बदलेगा
लाल किले की प्राचीर से दिया
राष्ट्र के नाम संबोधन ।
इन रास्तों पर
रोपे जा रहे हैं बबूल
ताकि बिखरे रह सकें कांटे
रास्ता जो
खुद नहीं खोज सकता
वह सांप की तरह
दूसरों के बनाए बिलों की
तलाश करता है
यह समय
दूसरों को धक्का देकर
अपना घर बनाने का समय है
अपने प्रासादों को
उठाने का समय है
यहाँ खेतों की दर्द भरी कहानी सुनने को
कोई तैयार नहीं
यहाँ पोखर के किनारे
बगुलों का बसेरा है
जो केवल आखेट करने की कला जानते हैं
अब स्मृतियाँ धोखा खाने लगी हैं
क्वार में बरसे मेघों की सिफ्त को
भूलने में जो अपना भला समझते हैं
उनसे अब कोई उम्मीद नहीं
जब ये नीम -पीपल की काठी वाले
लोग खड़े होंगे
तब ही बदलेगा
लाल किले की प्राचीर से दिया
राष्ट्र के नाम संबोधन ।
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