Tuesday, 29 October 2013

अपना घर


यही तो है जो
मुझे तुम्हारे नज़दीक घर नहीं
बनाने देता
यही तो है जो
घर बाद में बनाता है  और
उसकी चहार दीवारी पहले उठाता  है
यह अपना घर ही तो है जो
 हम
 रोज बनाते हैं

यह 'अपना'ही तो है
  जो जिलाता है और
जीने भी नहीं देता
न दूसरों को
 न खुद को

जब तक अपना है
पराया मिट नहीं सकता
अपने को जिसने मिटाया
पराया फिर कोई रहा ही नहीं ।

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