Tuesday 1 October 2013

 चितौड़ के दुर्ग में बने विजय स्तम्भ में उसकी वास्तु कला तो चकित करती ही है यह बात भी कि महाराणा कुम्भा ने इस बात का ध्यान रखा कि इस नौ मंजिले स्तम्भ की तीसरी मंजिल पर इसके मुख्य वास्तु शिल्पी जैत और उसके तीन सहायक पुत्र नापा ,पूजा आदि के नाम भी उत्कीर्ण करवाए ।  चितौड़ के विश्व-विख्यात दुर्ग में घूमते  हुए जो आत्मीयता और आदर  ---महेन्द्र ,अर्चना , भावना शर्मा और रमेश भाई से मिला , वह मेरे लिए यादगार बन गया है ।अपनी माटी ---ई -पत्रिका के सम्पादक  मानिक जी औरप्रो.सत्य नारायण  व्यास जी ने यह सुखद संयोग बनाया । कार्य क्रम में फेस बुक से जुड़े युवाओं की सक्रिय  और आत्मीय भागीदारी इस माध्यम की अर्थवत्ता को दर्शाती है ।  यात्रा का प्रयोजन पूरा हुआ ।

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