Wednesday, 22 January 2014

"आप " ने रोका है
घोड़े को ,
जो दिग्विजय के लिए
निकला है ,
कुछ लोग अब
कह रहे हैं 'आप" को भी तीसरा  घोड़ा
और पहले-दूसरे  घोड़े को घास।

घोड़े  घोड़े ही रहेंगे
घास रहेगी घास
जब तक यह घास है
तभी तक आस है
जब यह भी घोड़ा बन जायगी
तो घास  की शामत आ जायगी।

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