अपनी तरफ से काम को सोच-समझकर करने के बावजूद छिद्रान्वेषी लोग हर स्थिति में दोष ढूंढ लेते हैं। जिनका काम ही हर-हमेश दूसरों के दोष ढूंढना होता है , कुछ करना नहीं होता ,उनको काम करते हुए लोगों में छेद मिल ही जाते हैं। सबसे मुश्किल होता है --मैदान में उतर कर काम करना। उसीसे सोच बनती भी है और उसमें परिवर्तन भी होता है। जो काम में उतरता ही नहीं , वह क्या करके गलती करेगा। काम करने के साथ ही गलती भी जुडी हुई है।
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