सीखि लीन्हो रोध , प्रतिरोध, क्रोध , क्षोभ सब
सीखि लीनी गाँव ,खेती , किसान की बड़ाई है।
सीखि लीनी सदी की बदी ,औ फूलन सौं लदी
मंजूषा में जैसे सोने की प्रतिमा सजाई है।
जीवन कहत याकौ बानक विचित्र जामें
धरती पै आसमान की बैठक जमाई है।
कविता करनौ हंसी-ठट्ठा ना है होरी कौ
ग्रीषम की खेती है, त्वचा-स्वेद की कमाई है ।
सीखि लीनी गाँव ,खेती , किसान की बड़ाई है।
सीखि लीनी सदी की बदी ,औ फूलन सौं लदी
मंजूषा में जैसे सोने की प्रतिमा सजाई है।
जीवन कहत याकौ बानक विचित्र जामें
धरती पै आसमान की बैठक जमाई है।
कविता करनौ हंसी-ठट्ठा ना है होरी कौ
ग्रीषम की खेती है, त्वचा-स्वेद की कमाई है ।
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