यह कहने में कोई हिचक नहीं कि मीडिया भी पक्षधर की भूमिका अदा करता है ,उसी वर्ग की पक्षधरता , जिसका वर्चस्व और पूंजी उसमें लगी होती है। उसी के पक्ष में मतदाता के मन को तैयार करके अपने आधीन बना लेने की जुगत भिड़ाना है और कुछ नहीं। मतदाता को यह भ्रम रहता है कि यह बात बड़े तटस्थ ढंग से कही जा रही है। जबकि होती है गण-विरोधी पूंजी परस्त ताकतो की तरफदारी। इस बात का मतलब क्या है कि यदि आज चुनाव हो जाय तो। यह तो वही बात हुई कि ----"सूत ना कपास और कोरिया ते लठम्-लठा।"
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